उन्नाव की साझी संस्कृति और विरासत से रूबरू हुए पदयात्री – पदयात्रा का 23वां दिन

वाराणसी राजघाट से दिल्ली राजघाट तक
उन्नाव | 24 अक्टूबर, 2025

आज सुबह यात्रा नवाबगंज बैसवारा पैलेस से सुबह 8 बजे रवाना हुई। अजगैन, जो उन्नाव ज़िले में आता है, वहाँ चाय और नाश्ते का आयोजन हुआ। वहाँ विगत दिवस के रात्रि पड़ाव के आयोजक प्रदीप सिंह राठौर को सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल ने गांधी की आत्मकथा – सत्य के साथ मेरा प्रयोग भेंट की। प्रदीप सिंह राठौर ने कहा कि देश को इस यात्रा की बहुत अधिक आवश्यकता है। यह देश लगभग एक दशक से शिथिल पड़ा हुआ है, जिसे इस पदयात्रा के माध्यम से जगाया जा रहा है। देश में धर्म के नाम पर नफरत फैलाना आम बात हो गई है। ऐसे समय में आप सद्भावना, संविधान, लोकतंत्र और धार्मिक एकता की बात लेकर यात्रा निकाल रहे हैं, यह हमारे लिए गर्व की बात है।

उन्नाव स्पोर्ट्स स्टेडियम के पास यात्रा का स्वागत किया गया, जहाँ यात्रा में चल रही महिलाओं का सबसे पहले माला पहनाकर सम्मान किया गया। वहाँ नंदलाल मास्टर ने एक गीत प्रस्तुत किया – “एकता के जमाने गाएगा।”

यात्रा वहाँ से शहर के मुख्य चौराहों से होती हुई शाम 6 बजे मौलाना हसरत मोहानी हॉल पहुँची, जहाँ स्वागत सभा आयोजित हुई। इस कार्यक्रम का संचालन अखिलेश भाई कर रहे थे। उन्नाव की सामाजिक कार्यकर्ता गौसिया ख़ान ने यात्रा का स्वागत करते हुए कहा कि यह यात्रा उन किसानों और मज़दूरों के हक़ के लिए है, जो देश को चला रहे हैं। उन्होंने मौलाना हसरत मोहानी को याद करते हुए कहा कि हम उनके आदर्शों पर अमल करते हैं, क्योंकि जब भी उन्नाव के आसपास के शहरों में दंगे होते हैं, तब उन्नाव से शांति का पैग़ाम जाता है। उन्होंने कहा कि जर्मनी में हिटलर जैसे तानाशाहों का राज था, लेकिन ऐसे लोगों को इतिहास में स्थान नहीं मिलता। इतिहास में जगह उन्हें मिलती है, जो मानवता, सद्भावना और शांति की बात करते हैं। अपनी बात समाप्त करते हुए गौसिया ख़ान ने कहा कि यह यात्रा दिल्ली राजघाट पहुँचते-पहुँचते अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाएगी।

पत्रकार, विचारक और सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद कमल ने भी यात्रा का स्वागत किया। इसी दौरान उन्होंने उन्नाव की साझी संस्कृति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उन्नाव के समाज ने जिस तरह सादगी के साथ हिंदी भाषा को अपनाए रखा है, उसी तरह उर्दू को भी सहेजा है। यहाँ हिंदू-मुस्लिम एकता और इन दोनों धर्मों की साझी संस्कृति हमें स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।उन्होंने चंद्रशेखर आज़ाद, विष्णंभर दयाल त्रिपाठी और मौलाना हसरत मोहानी को याद करते हुए स्वतंत्रता आंदोलन का स्मरण किया। अंत में उन्होंने कहा कि देशभर में कई यात्राएँ निकाली जा रही हैं — कुछ धर्म, जाति, संप्रदाय और राजनीति के आधार पर – लेकिन भारत के दृष्टिकोण से यही एक ऐसी यात्रा है जिसमें सभी जाति, धर्म और संप्रदाय के लोग एक साथ हैं।

सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल ने कहा कि इस देश को आज सबसे अधिक आवश्यकता सद्भावना की है, क्योंकि देश और लोकतंत्र दोनों ही खतरे में हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है – लोगों का धर्म, जाति, संप्रदाय, रंग, लिंग और भाषा के आधार पर विभाजित होना।

यात्रा का उद्देश्य बताते हुए जागृति राही ने कहा कि यह यात्रा सद्भावना, संविधान, लोकतंत्र और विरासत की रक्षा की लड़ाई के लिए है। 2023 में सरकार ने बनारस राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ के आश्रम को बुलडोज़र से ध्वस्त कर दिया था। लगभग डेढ़ लाख किताबें बाहर फेंक दी गईं और गांधी साहित्य को समाप्त करने का प्रयास किया गया।उस घटना के बाद बनारस में 100 दिन का अनशन हुआ। उसी के बाद यह “एक कदम गांधी के साथ” पदयात्रा प्रारंभ की गई, जो बनारस राजघाट से दिल्ली राजघाट तक जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य गांधी की विरासत को बचाना है।

आज के यात्रा में शामिल होने वाले प्रमुख प्रतिभागी : सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल, मंत्री अरविंद कुशवाहा एवं अरविंद अंजुम, सर्वोदय समाज के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ रोड़े, जागृति राही, ईश्वरचंद्र, विद्याधर मास्टर, श्यामधर तिवारी, जगदीश कुमार, विकास, मोहन दीक्षित, मानिकचंद, अनोखेलाल, जोखन यादव, सरिता बहन, सिस्टर फ्लोरीन, अलीभा, अंतर्यामी बराल, सौरभ, गौरव, विवेक मिश्र, बृजेश, टैन, राहुल, सचिन, अनूप आचार्य, उदय,, संजना, सेराज अहमद, बीरेंद्र कुमार यादव, बसंत कुमार रावत, उदय नायक, अनिल नायक, दलगोविंद नायक, अशोक विश्वराय, ज्ञानेंद्र, मुकेश, अखिलेश यादव, सुरेन्द्र कुशवाहा, रुद्र दमन , महिप सिंह, खन्नू भईया,गणेशी आदि शामिल रहे।