वाराणसी प्रशासन, खास तौर पर आयुक्त कौशल राज शर्मा के दमनकारी प्रयासों के बावजूद सर्व सेवा संघ परिसर पर अवैध कब्जे के प्रतिवाद एवं पुनर्निर्माण के संकल्प के साथ प्रारंभ सत्याग्रह गिरफ्तारी के बावजूद जारी है। राजघाट परिसर के सामने 11 सितंबर, विनोबा जयंती के अवसर से प्रारंभ सत्याग्रह को 87 वें दिन के दोपहर को रोक दिया गया। साथ ही राम धीरज, अशोक शरण, नंदलाल मास्टर और जोखन सिंह यादव को गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में उन्हें शाम को छोड़ दिया गया। विचार-विमर्श के बाद सत्याग्रह को शास्त्री घाट पर जारी रखने का निर्णय लिया गया।
आज दिनांक 7 दिसंबर 2024 को सत्याग्रह अपने 88 वें दिन में प्रवेश कर गया है। सत्याग्रह में सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल, प्रकाशन समिति के संयोजक अशोक भारत, उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष राम धीरज, छत्तीसगढ़ सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष दीनदयाल चौधरी, सामाजिक कार्यकर्ता सिराज अहमद और ईश्वर प्रसाद देशमुख उपवास पर हैं।
सत्याग्रह में संत का संकल्प और शहादत की विरासत समाहित है,इसे कोई डिगा नहीं सकता
11 सितंबर को दुनिया के महान संतों में से एक संत विनोबा भावे की जयंती है तो सत्याग्रह का समापन अशफाकउल्ला, राम प्रसाद बिस्मिल और रोशन सिंह की शहादत के दिन होना है। 19 दिसंब र1927 को इन तीनों स्वतंत्रता सेनानियों को फैजाबाद जेल में फांसी दी गई थी। संत से लेकर शहीद तक हमारे पूर्वज हैं। राजे- रजवाड़ों, जमींदारों, कॉरपोरेट के समर्थकों के लिए यह समझना कठिन है कि सत्याग्रह को दबाया नहीं जा सकता।
जय जगत!