विध्वंस और विलासिता स्वीकार्य नहीं – सत्याग्रह का 28वां दिन

न्याय के दीप जलाएं- 100 दिनी सत्याग्रह आज अपने 28 वें दिन में प्रवेश कर गया। सुबह 6:00 बजे सर्वधर्म प्रार्थना के साथ सत्याग्रह का प्रारंभ हुआ। आज इस सत्याग्रह में सोनभद्र जिला सर्वोदय मंडल के लोक सेवक रमेश भाई और रघुनाथ भाई उपवास पर बैठे हैं। उपवास पर बैठने वालों में जौनपुर के निवासी और सेवा पूरी में सक्रिय रहे पद्माकर सिंह भी शामिल है। इसी के साथ आदिवासी जीवन और शिक्षा पर शोध कर रही छात्रा बांसवाड़ा, राजस्थान की कुसुम रावत और तेलंगाना,भद्राचलम के रेशु कल्याण बाबू भी उपवास कर रहे हैं। कुल मिलाकर पांच व्यक्ति आज उपवास पर हैं।

विध्वंस और विलासिता स्वीकार्य नहीं

यह सभी उपवासकर्ता समाज को बेहतर बनाने के लिए संकल्पबद्ध हैं और चाहते हैं कि समाज सामाजिक -आर्थिक विषमता से मुक्त हो और हर मनुष्य एक दूसरे का सम्मान करें। किसी प्रकार का विद्वेष और वैमनस्य न हो। सभी सुखी और प्रसन्न रहें। युद्ध और कलह का नामोनिशान तक न हो। प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर जीवन जिया जाए ताकि पर्यावरण का संतुलन बना रहे। विकास के नाम पर विध्वंस और विलासिता की इजाजत नहीं होनी चाहिए।

खिडकिया घाट पर जिस तरह का निर्माण कार्य हो रहा है, वह अनुचित है। न केवल इसमें पर्यावरणीय दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया गया है बल्कि गंगा नदी के चरित्र के साथ मनमाना व्यवहार किया जा रहा है। गंगा नदी के अंदर घुसकर कंक्रीट के जाल बिछाए जा रहे हैं।

लोकनारायण जयप्रकाश नारायण को याद किया गया

भारत छोड़ो आंदोलन के नायक, सर्वोदय आंदोलन के समर्पित कार्यकर्ता, राष्ट्र निर्माण के वास्तुकार और संपूर्ण क्रांति आंदोलन के प्रणेता जयप्रकाश नारायण को सत्याग्रह स्थल पर याद करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। गांधी विद्या संस्थान की स्थापना के लिए भी जयप्रकाश नारायण की पहल कदमी थी। वे समाजशास्त्र के विद्यार्थी थे। अतः समाज की हर घटना को बारीकी से देखना, परखना,समझना और अध्ययन करना चाहते थे। इसी उद्देश्य से उन्होंने गांधी विद्या संस्थान की स्थापना की थी, विशेष कर गांधी विचार से होने वाले परिवर्तनों को। लेकिन इस संस्थान पर सरकार और प्रशासन की कुदृष्टि पड़ी और इसे तहस-नहस कर दिया। 100 दिनी सत्याग्रह इस संस्थान के पुनर्जीवन के लिए संकल्पित है। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष राम धीरज ने कहा कि जयप्रकाश नारायण ने दलों के चरित्र को देखते हुए दलविहीन लोकतंत्र की बात कही थी। सत्ता संचालन में दलों की भूमिका ने लोकतंत्र को दलतंत्र में बदल दिया है जबकि लोकतंत को और व्यापक बनाने के लिए ग्राम स्वराज और लोक स्वराज की दिशा में आगे बढ़ना होगा। उन्होंने परिवर्तन की प्रक्रिया में युवाओं की भूमिका को महत्वपूर्ण माना था।

आज सत्याग्रह में सुरेंद्र नारायण सिंह, जगत नारायण विश्वकर्मा, शक्ति कुमार,इंदु वाला सिंह, उमेश चौबे सोनभद्र, जगत नारायण विश्वकर्मा, ओंकार नाथ पांडे, ललित नारायण मौर्य, अक्सा अंसारी, राम नारायण सिंह, ईश्वर भाई गाज़ीपुर, सुरेश, विद्याधर, चेखुर प्रसाद प्रजापति, कृष्ण कुमार, शक्ति सिंह, नंदलाल मास्टर आदि शामिल हुए।