न्याय के दीप जलाएं- 100 दिनी सत्याग्रह आज 27 वें दिन में प्रवेश कर गया। गहमर,गाजीपुर निवासी ईश्वर चंद्र सत्याग्रह के क्रम में aj उपवास पर बैठे हैं। लगभग 4:30 दशक के लंबे किंतु समझौता विहीन सार्वजनिक जीवन का प्रारंभ लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा स्थापित निर्दलीय संगठन छात्र- युवा संघर्ष वाहिनी से हुआ था। ग्रामीण परिवेश में पले- बढ़े कर्मठ व्यक्तित्व के धनी ईश्वर चंद्र मानवीय मूल्यों को सामाजिक संस्कृति के रूप में ढालने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है। परिवर्तन की जहां भी गुंजाइश दिखी, बिना किसी हील -हवाले के अपना योगदान दिया। इसी सोच से प्रेरित होकर कभी आजादी बचाओ आंदोलन के साथ जुड़े तो कभी भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में शामिल हो गए।
आंदोलन की अपनी गति होती है, नेतृत्व का अपनी प्राथमिकता होती है, लेकिन ईश्वर भाई भी अपनी राह चलते हैं। परिवर्तन की राह।उन्होंने परिवर्तन के हर नुस्खे अपनाए । आंदोलन का भी और रचना का भी। शंकरगढ़ के कोल आदिवासियों के बीच जीवन मूल्यों की मजबूती का प्रयास किया तो शिक्षा क्षेत्र में भी हस्तक्षेप किया। तरीके भले बदले पर लक्ष्य तो एक ही है- संपूर्ण क्रांति, समाज का आमूल परिवर्तन।
ईश्वर चंद्र सोचते हैं की गांधी विद्या संस्थान की स्थापना लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने किया था और अब ये कौन आ गए हैं जो इस पर कब्जा कर दो सुरक्षा कर्मी और एक ताला लटका कर अपनी पीठ ठोक रहे हैं। कब्जा करने वालों ने यह दावा किया था कि गांधी विद्या संस्थान की पुरानी गरिमा लोटा लायेंगे। लेकिन उनकी नजर संस्थान की प्रवृत्ति पर नहीं, संपत्ति पर है। इसलिए यह सत्याग्रह लोकनायक बनाम खलनायक का है और यकीन है कि खलनायकों को समाज कभी स्वीकार नहीं करेगा।
आज के सत्याग्रह काजी फरीद, ओम प्रकाश अरुण, विकास उपाध्याय, अमरदीप गुप्ता, राय बहादुर यादव, सिराज अहमद, जगत नारायण विश्वकर्मा, सुरेंद्र नारायण सिंह, संजीव गिरी, दिग्विजय सिंह, पद्माकर सिंह, विद्याधर और अच्छे लाल कुशवाहा,नंदलाल गुप्ता,अशोक भारत आदि शामिल हुए।
नंदलाल मास्टर,अशोक भारत
सत्याग्रह प्रभारी