उद्देश्य प्राप्ति तक सत्याग्रह जरूरी – सत्याग्रह का 69वां दिन

गांधी विरासत को बचाने के लिए वाराणसी स्थित राजघाट परिसर के सामने चल रहे सत्याग्रह का आज 69 वां दिन है। स्वतंत्रता आंदोलन में विकसित हुए लोकतांत्रिक भारत की विरासत को बचाने के लिए 11 सितंबर (विनोबा जयंती) से सर्व सेवा संघ के आह्वान पर “न्याय के दीप जलाएं -100 दिनी सत्याग्रह जारी है जो 19 दिसंबर 2024 को संपन्न होगा। सत्याग्रह आज सर्व धर्म प्रार्थना के साथ अपने 68 वें पायदान पर पहुँच गया है।

आज सत्याग्रह के क्रम में उपवास पर बैठने वाले साथी हैं- मुजफ्फरपुर जिला एकता परिषद अध्यक्ष शिवनाथ पासवान, विगन मंडल और शंभू शाह। चंदौली जिले के जोखन सिंह यादव पुनः आज उपवास पर हैं। वे चाहते हैं कि उद्देश्य प्राप्ति तक सत्याग्रह जारी रहे।

सत्याग्रह में जुड़ रहा है समाज सेवकों का जत्था

इस सत्याग्रह में अबतक कई समविचारी संगठनों का समर्थन,सहयोग और सहभाग होता रहा है। आज एकता परिषद के साथी उपवास पर हैं तो कल लोक समिति आश्रम की ओर से सत्याग्रह के 70 दिन पूरे होने के अवसर पर 70 साथी उपवास पर बैठेंगे।

आज के उपवासकर्ताओं में से 46 वर्षीय शिवनाथ पासवान का प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा बंगाल में हुई। वहां वे वामपंथी छात्र संगठन एसएफआई के साथ जुड़कर छात्रों के अधिकार के लिए आंदोलन में शामिल रहे। जब वे मुजफ्फरपुर आए तो सामाजिक कार्यों में रुचि होने के चलते हर तरह से लोगों की सहायता करना उनके रोजमर्रे के काम में शामिल हो गया। मरीजों को अस्पताल पहुंचाना और उन्हें समुचित चिकित्सा सुनिश्चित करना,इनकी नियमित दिनचर्या बन गई। कालाजार,कुष्ठ तथा टी बी से पीड़ित लोगों को चिन्हित कर अस्पताल तक पहुंचातते थे। साथ ही दलितों और वंचितों को सरकारी योजनाओं का समुचित लाभ मिले,इसके लिए भी प्रयासरत रहते थे। बिहार में दलितों की एक बड़ी समस्या है अपना घर न होना। इसलिए बासगीत का पर्चा व जमीन मिले, इस मांग के समर्थन में आंदोलन भी किया और सफलता भी मिली। 2011 में शिवनाथ सरपंच भी चुने गए। वे 1837 वोट के अंतर से जीते थे जो जिले में दूसरा सबसे बड़ा अंतर था। इससे उनकी लोकप्रियता सिद्ध होती है। इन्हें बिहार सरकार ने पांच सर्वश्रेष्ठ सरपंचों को कामकाज के आधार पर पुरस्कृत किया था जिसमें शिवनाथ भी थे। इसी प्रकार ऑक्सफेम इंडिया ने इन्हें परिवर्तन सम्मान से नवाजा।

शिवनाथ पासवान अपने साथी शंभू साह और विगन मंडल के साथ एकता परिषद के बैनर तले सामाजिक आंदोलन को प्रभावी ढंग से चलाते हैं। शंभू साह 2007 से एकता परिषद से जुड़े हुए हैं। पिताजी की मृत्यु की वजह से वे स्कूली शिक्षा से आगे नहीं पढ़ सके लेकिन जज्बा कायम रहा। समाज के लिए कुछ करने की इच्छा कभी कमजोर नहीं हुई । 33 वर्षीय विगान मंडल 17 वर्ष की उम्र में ही जनादेश यात्रा 2007 में शामिल हो गए और ग्वालियर से दिल्ली तक की पदयात्रा की। 2012 और 2018 की यात्राओं में भी शामिल रहे। रामलखेंद्र प्रसाद इन सभी के संरक्षक की भूमिका अदा करते हैं।

एकाग्रता होने से जो संस्कार पड़ते हैं, वे फिर नहीं मिटते – आचार्य विनोबा भावे

प्रत्येक दिन की तरह आज भी प्रार्थना के पश्चात शक्ति कुमार के द्वारा गीता प्रवचन का पाठ किया गया। गीता प्रवचन में आचार्य विनोबा भावे ने कहा है कि हृदय के इस सागर को निहारना सीखिए। बाहर के नीले आकाश को देखकर मन को भी निर्मल बनाइए। मन की एकाग्रता तो एक खेल है। मन की बेचैनी ही अस्वाभाविक है। बच्चों का मन तुरंत एकाग्र हो जाता है। चार-पाँच महीने के बच्चे को बाहर की हरी-भरी सृष्टि दिखलाओ। वह सतत देखता रहेगा। मानो सब इंद्रियों को आँखें बनाकर वह देखता है। छोटे बच्चे के मन पर किसी भी घटना का बड़ा प्रभाव पड़ता है। शिक्षाशास्त्री कहते हैं “शुरूके दो-चार सालोंमें जो शिक्षा बालकों को मिल जाती है, वही वास्तविक शिक्षा है।” शिक्षा से मेरा संबंध है। प्रतिदिन मेरा यह निश्चय होता जा रहा है कि इस बाहरी शिक्षा का परिणाम शून्य ही है। शुरू में जो संस्कार पड़ जाता है, उसका मिटना कठिन होता है। बचपन में मन की एकाग्रता स्वाभाविक रहती है। एकाग्रता होने से जो संस्कार पड़ते हैं, वे फिर नहीं मिटते। एकाग्रता की ऐसी महिमा है। जिसे यह एकाग्रता प्राप्त हो गयी, उसके लिए क्या असंभव है?

उपवासकर्ता शिवनाथ पासवान, विगन मंडल,शंभू साह,जोखन सिंह यादव, के अलावा उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष राम धीरज,मंत्री अरविंद अंजुम,लेखक एवं पत्रकार शक्ति कुमार,सुरेंद्र नारायण सिंह, लोक समिति आश्रम के नंदलाल मास्टर,पूनम,गाधीवादी कार्यकर्ता जागृति राही, आइकैन के महेंद्र,एकता परिषद के रामलखेंद्र प्रसाद, इटावा से सुल्तान सिंह, वंशन और पूनम शामिल हुए।

जागृति राही, नंदलाल मास्टर

सत्याग्रह प्रभारी

रामधीरज, सर्व सेवा संघ