न्याय के दीप जलाएं- 100 दिनी सत्याग्रह आज 18 सितंबर 2024 को अपने आठवें दिन में प्रवेश कर गया। सत्याग्रह का प्रारंभ सुबह 6:00 बजे सर्व धर्म प्रार्थना के साथ हुआ। आज के सत्याग्रह में उड़ीसा के अंगुल जिले के युवा साथी सूर्य नारायण नाथ उपवास पर बैठे हैं। अलख भाई, राम धीरज, मिहिर प्रताप दास, फरीद आलम, ईश्वर चंद, अशोक भारत, सूर्य सेठी, अनिरुद्ध नायक, पारमिता,तारकेश्वर सिंह तथा आर्यमन बरल,चंद्र शेखर सिंह, ऋषि सिंह भी सत्याग्रह में शामिल हैं।
सूर्य नारायण राष्ट्रीय युवा संगठन के उड़ीसा के संयोजक हैं। इसके अलावा बाजी राउत छात्रावास तथा गांधी शांति प्रतिष्ठान के कार्यकारिणी सदस्य के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं। ज्ञात हो कि बाजी राउत स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे कम उम्र अर्थात 12 वर्ष की उम्र में शहीद होने वालों में से हैं। इनकी स्मृति में इस छात्रावास का निर्माण किया गया है जहां गरीब परिवारों के बच्चे रहते हैं।
सूर्य नारायण का कहना है कि सारे कागजात रहने के बावजूद सरकार ने सर्व सेवा संघ प्रकाशन को नष्ट करने का प्रयास किया जो गैरकानूनी है। हम सत्याग्रह पर इसलिए बैठे हैं कि उनका ज्ञान और हृदय निर्मल हो तथा ससम्मान परिसर हमें वापस किया जाए।
शाम ठीक 6 बजे सर्व धर्म प्रार्थना और दीप प्रज्वलन के साथ सत्याग्रह का समापन हुआ।
न्यायालय द्वारा सरकार की ओर से सिविल उद्घोषणा मुकदमे को स्वीकार न करने के आवेदन को खारिज कर दिया गया। इस संदर्भ में सत्याग्रह स्थल पर एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया और प्रेस विज्ञप्ति वितरित की गई।
प्रेस विज्ञप्ति
न्यायालय सिविल जज (सीनियर डिवीजन 1) वाराणसी के माननीय जज हितेश अग्रवाल ने 12 सितंबर 2024 को सर्व सेवा संघ बनाम उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य के मामले में राजस्व प्रक्रिया संहिता के तहत आदेश 7 नियम 11 के तहत सर्व सेवा संघ के सिविल उद्घोषणा वाद को निरस्त करने की सरकार की ओर से की गई प्रार्थना को खारिज कर दिया।
सर्व सेवा संघ ने मई 2023 में प्रशासनिक रूख को देखते हुए सिविल न्यायालय में उद्घोषणा वाद तथा सरकार द्वारा परिसर में किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप पर रोक लगाने के लिए मुकदमा संख्या 522/2023 दाखिल किया था। सरकार की ओर से इस मुकदमे को स्वीकार न करने के लिए आदेश 7 नियम 11 राजस्व प्रक्रिया संहिता के तहत आवेदन दिया गया था। सरकार का कहना था कि यह मुकदमा स्वीकार करने योग्य नहीं है।
सर्व सेवा संघ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता भुवन मोहन श्रीवास्तव ने सरकार के पक्ष की विसंगतियों को उजागर किया। उन्होंने कहा कि प्रतिवादी यह कहते हैं कि सेल डीड पर डिविजनल इंजीनियर का हस्ताक्षर ही नहीं है, जबकि हस्ताक्षर उपलब्ध है। इसका मतलब है कि प्रतिवादी ने दस्तावेजों का गंभीरता पूर्वक अध्ययन नहीं किया है। दूसरी ओर यह कहा गया है कि उस समय डिविजनल इंजीनियर का पद ही अस्तित्व में नहीं था,साथ ही यह भी कह रहे हैं कि डिविजनल इंजीनियर संख्या 1 और 2 पद थे। प्रतिवादी ने यह भी तर्क दिया है कि डिविजनल इंजीनियर इस कार्य के लिए अधिकृत नहीं थे। प्रार्थना में इस तरह की कई परस्पर विरोधी और भ्रांतिपूर्ण तथ्यों की ओर न्यायालय का ध्यान आकृष्ट कराया ।
आदेश 7 नियम 11 राजस्व प्रक्रिया संहिता द्वारा वाद को निरस्त करने के मानदंड निर्धारित किए गए हैं जो सरकार की प्रार्थना पर लागू नहीं होते है। इसके अलावा अधिवक्ता श्रीवास्तव ने हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट के कई रूलिंग, नजीर का भी हवाला दिया है।
सर्व सेवा संघ के प्रतिनिधि और उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज ने कहा कि विगत 15 महीने में लगभग 100 डेट लगने के बाद इस अपेक्षित फैसले से न्याय का दीप जल गया है । हम न्यायपालिका पर पूरा भरोसा करते हैं और हमें विश्वास है कि चंद प्रशासनिक अधिकारियो की साजिश नाकाम होगी और सर्व सेवा संघ को परिसर वापस मिलेगा। उन्होंने 17 सितंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाने को कानून के शासन के सिद्धांत की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया है।
सर्व सेवा संघ ने अधिवक्ता भुवन मोहन श्रीवास्तव, धीरज कुमार और प्रीति पांडे का आभार व्यक्त किया।