गांधी विरासत को बचाने के लिए वाराणसी स्थित राजघाट परिसर के सामने चल रहे सत्याग्रह का आज 59 वां दिन है। इस सत्याग्रह में अब तक उड़ीसा,पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र,राजस्थान, मध्य प्रदेश,त्रिपुरा और गुजरात की भागीदारी हो चुकी है। फिलहाल 6 से 10 नवंबर तक तेलंगाना की टीम सत्याग्रह में शामिल है। 11 नवंबर से 15 नवंबर तक सत्याग्रह में शामिल होने के लिए तमिलनाडु की टीम आ रही है।
विरासत बचाने के लिए उपवास पर बैठे गुजरात के अशोक चौधरी
तेलंगाना के विकाराबाद से एम सुजाता, एम प्रवीण तथा चंदौली से जोखन सिंह यादव व सोनिया यादव भी उपवास पर हैं
अशोक चौधरी आदिवासी समन्वय मंच भारत के संरक्षक हैं। देश के 17 राज्यों में समन्वय मंच कार्यरत है। आदिवासी समुदाय के अस्तित्व और अस्मिता की रक्षा करना इस मंच का मुख्य उद्देश्य है। अशोक चौधरी कहते हैं कि सदियों से आदिवासी समुदाय का उत्पीड़न हुआ है और अब उनके आजीविका, जीवन और अस्मिता के आधारों को अर्थात जल-जंगल-जमीन को छीन कर कॉर्पोरेट को दिया जा रहा है । जल, जंगल, जमीन के बिना आदिवासी जी नहीं सकता है,वह बर्बाद हो जाएगा। दुनिया में ऐसा हुआ है। मेक्सिको, ऑस्ट्रेलिया,कनाडा और अमेरिका में आदिवासी लगभग खतम हो गए हैं। हम नहीं चाहते हैं कि भारत में भी वही स्थिति हो। इसलिए तथाकथित विकास के मॉडल को हम इनकार करते हैं। आज इसी विकास मॉडल का शिकार सर्व सेवा संघ परिसर भी हो गया है। संतो के स्थान को नष्ट कर इसे कॉरपोरेट का ऐशगाह बनाया जाएगा, हमें यह मंजूर नहीं है।इसलिए हम सत्याग्रह में शामिल हुए हैं।
जल, जंगल, जमीन के बिना आदिवासी जी नहीं सकता है,वह बर्बाद हो जाएगा।
अशोक चौधरी का जन्म गुजरात के सूरत जिले में एक गांधीवादी परिवार में हुआ। 75 वर्षीय अशोक चौधरी का पूरा परिवार स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल रहा है। गांधी जी जब सूरत के आदिवासी बहुल क्षेत्र में आए थे तो उन्होंने अधिकांश आदिवासी जन को खादी पहने देखा। गांधी जी ने आश्वस्त होकर प्रतिक्रिया दी कि देश को आजादी मिलने में अब ज्यादा देर नहीं होगी। अशोक चौधरी पूरे देश भर में आदिवासी जनता के बीच जागरूकता फैलाने के लिए हमेशा सक्रिय रहते हैं।
हमें बिना लड़े जमीन का हक नहीं मिलता। यही जमीन पर हक के लिए बनारस में सत्याग्रह हो रहा है।
तेलंगाना से सुजाता एवं प्रवीण उपवास में शामिल होने के लिए वाराणसी आए हैं। ये किसान हैं। इनमें किसानों का धैर्य और साहस है। गांधी विचार से प्रेरित होकर सामाजिक जीवन में आए हैं। भूदान जमीन की हेरा- फेरी करने वालों के खिलाफ लगातार संघर्षरत हैं और इन्हें सफलता भी मिली है। उन्हें इस बात का गुस्सा है कि पूरे देश में राजनैतिक नेता गरीबों की आवाज नहीं सुनते। हमें बिना लड़े जमीन का हक नहीं मिलता। यही जमीन पर हक के लिए बनारस में सत्याग्रह हो रहा है। जमीन की रक्षा के लिए वे इस सत्याग्रह में शामिल हुए हैं।
भारत की महान संत परंपरा और स्वतंत्रता आंदोलन में विकसित हुए सेकुलर फेडरल और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक की विरासत को बचाने के लिए 11 सितंबर (विनोबा जयंती) से सर्व सेवा संघ के आह्वान पर “न्याय के दीप जलाए जलाए -100 दिवसीय सत्याग्रह जारी है जो 19 दिसंबर 2024 को संपन्न होगा।
आज के सत्याग्रह में उपवासकर्ता गुजरात के अशोक चौधरी के अलावा सर्व सेवा संघ के मंत्री अरविंद कुशवाह, उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष राम धीरज ,वरिष्ठ गांधीवादी अलख भाई, लेखक एवं पत्रकार शक्ति कुमार, गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता जागृति राही पूर्वांचल बहुजन मोर्चा के अनुप श्रमिक, संजय सिंह, तारकेश्वर सिंह, सुरेंद्र नारायण सिंह, सिस्टर फ्लोरीन वंशीधर कपीश्वर मंडल, गौतम गुप्ता मानस,तेलंगाना से भास्कर,गिरी प्रसाद, प्रवीण गोविंदम्मा,आजमा शमी रेड्डी,अनवर पाशा,श्रीधर रेड्डी,पुष्पमा अन्तम्मा, ललित नारायण, लोक समिति आश्रम के नंदलाल मास्टर,सोनिया जी, आदि शामिल हुए।
जागृति राही,अरविंद कुशवाह
सत्याग्रह प्रभारी
रामधीरज, सर्व सेवा संघ