गांधी विरासत को बचाने के लिए वाराणसी स्थित राजघाट परिसर के सामने चल रहे सत्याग्रह का आज 64 वां दिन है। इस सत्याग्रह में अब तक उड़ीसा,पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र,राजस्थान, मध्य प्रदेश,त्रिपुरा और गुजरात की भागीदारी हो चुकी है। 12 नवंबर से 15 नवंबर तक सत्याग्रह में शामिल होने के लिए तमिलनाडु की टीम आ चुकी है। हरियाणा, दिल्ली, केरल,हरियाणा समेत 16 राज्यों की भागीदारी सुनिश्चित हो चुकी है।
भारत महान संतों का देश है। नानक, कबीर,रैदास,चैतन्य महाप्रभु,रामकृष्ण परमहंस,स्वामी विवेकानंद,निजामुद्दीन औलिया, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती आदि मानवीय विभूतियों की उदार एवं समावेशी परंपरा तथा स्वतंत्रता आंदोलन में विकसित हुए सेकुलर फेडरल और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक की विरासत को बचाने के लिए 11 सितंबर (विनोबा जयंती) से सर्व सेवा संघ के आह्वान पर “न्याय के दीप जलाए जलाए -100 दिवसीय सत्याग्रह जारी है जो 19 दिसंबर 2024 को संपन्न होगा।
तमिलनाडु से पीके संपत उपवास पर बैठे हैं
आज के सत्याग्रह में तमिलनाडु के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। थेनी जिला सर्वोदय मंडल अध्यक्ष पी के संपत आज उपवास पर हैं। 75 वर्षीय संपत 1970 में तमिलनाडु सर्वोदय मंडल से जुड़े और टाइपिंग सहित कार्यालय का हर काम संभालते रहे हैं। इसके अलावा समय-समय पर जो भी जिम्मेवारी सौंपी गई, उसे भी मनोयोग से निभाया। उन्होंने तमिलनाडु की प्रसिद्ध गांधी ग्रामम कादर कंपनी में प्रबंधक के रूप में 12 वर्षों तक अपनी सेवा दी । थेनी जिला सर्वोदय मंडल का गठन 2006 में हुआ था। वे अभी इसके अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।वे वाराणसी में 100 दिन के सत्याग्रह की खबरें स्थानीय तमिल भाषा के गांधी उला अखबार में नियमित रूप से अनुवाद कर प्रकाशित करते रहे हैं।
किसी भी किस्म का वर्चस्व स्वीकार नहीं है – पीके संपत
सुदूर दक्षिण से आकर उपवास में शामिल पीके संपत इस बात से अत्यंत दुखी हैं कि गांधी, विनोबा, और जयप्रकाश नारायण की विरासत को सरकार ने गैर कानूनी तरीके से बुलडोजर से गिरा दिया है। वे कहते हैं यह देश विविधताओं का देश है। इसमें कई धर्म है, हजारों जातियां हैं, सैकड़ो भाषाएं हैं,संस्कृतियों हैं,विचारधाराए हैं और भारत के संविधान ने सभी को मान्यता दी है। हर किसी को अपने विचार की अभिव्यक्ति करने की स्वतंत्रता मिली है लेकिन किसी को भी अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए गैर कानूनी तरीके अपनाने का अधिकार नहीं दिया गया है। अगर कोई ऐसा लगातार करता है तो इसका मतलब है कि उस सरकार या संस्था का भारत के लोकतंत्र और संविधान में यकीन नहीं है।इस देश में कानून सम्मत कारवाइयां ही स्वीकार है जबकि सर्व सेवा संघ को गिराने में कानून का उल्लंघन किया गया है। इसका विरोध करना हरेक नागरिक का दायित्व है। हमारा सत्याग्रह इसी दायित्व का पालन है।
बुलडोजर न्याय नहीं चलेगा सुप्रीम कोर्ट
सर्व सेवा संघ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया
सत्याग्रह स्थल से सर्व सेवा संघ की ओर से बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी गाइडलाइन का स्वागत किया गया। इस 15 सूत्री गाइडलाइन में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कार्यपालिका को न्यायिक मामले में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। कोई भी व्यक्ति आरोपी या यहां तक कि दोषी सिद्ध होने पर भी उसका घर मनमाने तरीके से नहीं गिराया जा सकता है क्योंकि घर पूरे परिवार का होता है। नगर निगम, नगर पंचायत के दिशा निर्देशों या भवन निर्माण संबंधी नियमों की अनदेखी कर बनाए गए भवन को ही कानून की स्थापित प्रक्रियाओं के द्वारा ही गिराया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी भवन को गिराने के 15 दिन पहले संबंधित विभाग को रजिस्टर डाक द्वारा नोटिस भेजना होगा तथा उसे चिपकाना भी होगा। *अगर कोई अधिकारी कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन कर घर या भवन गिराता है तो उससे हरजाना वसूला जाएगा और उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
सर्व सेवा संघ के मामले में दोषी अधिकारियों को दंडित करने का समय आ गया है – राम धीरज
उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष राम धीरज ने बताया कि रेलवे ने 15 दिन तो दूर मात्र 64 घंटे का समय दिया था और डाक द्वारा सूचित भी नहीं किया था। सर्व सेवा संघ परिसर में किसी भी भवन का निर्माण अवैध नहीं था बल्कि नगर निगम के अनुमोदित नक्शे के अनुसार निर्माण किया गया था। सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि सर्व सेवा संघ के साथ नगर निगम का कोई भी विवाद नहीं था। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक षड्यंत्र को उजागर करने और दोषी अधिकारियों को दंडित करने का समय आ गया है। सुप्रीम कोर्ट के इस गाइडलाइन के आलोक में सर्व सेवा संघ न्यायालय में जाएगी और संबंधित अधिकारियों से हरजाना वसूली का दावा करेगी। सुप्रीम कोर्ट का यह हद गाइडलाइन अफसरों की निरंकुश्ता को नियंत्रित करने में सहायक सिद्ध होगी।
उपवासकर्ता पी के संपत के अलावा उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष राम धीरज,लेखक एवं पत्रकार शक्ति कुमार, पूर्वांचल बहुजन मोर्चा के अनुप श्रमिक,सर्व सेवा संघ प्रकाशन के संयोजक अशोक भारत, चंबल के बागियों के समर्पण अभियान में सक्रिय रहे गांधीवादी कार्यकर्ता रविंद्र सिंह चौहान,तारकेश्वर सिंह, सुरेंद्र नारायण सिंह, लोक समिति आश्रम के नंदलाल मास्टर, गाजीपुर से ओमप्रकाश अरुण, सिस्टर फ्लोरीन, मोहम्मद आकिफ, विनोद जायसवाल,वरिष्ठ गांधीवादी विद्याधर,तमिलनाडु से वे मुरूगन, एस टी मूर्ति, एस बालाकृष्णन, मुरूगन वी, एम शिवगुरुनाथन, एस मनोकरण, राजेंद्रन सहित कुल 13 कार्यकर्ता शामिल हुए।
जागृति राही, नंदलाल मास्टर
सत्याग्रह प्रभारी
रामधीरज, सर्व सेवा संघ