एक मौका मिला है -शांतिपूर्ण तरीके से प्रतिवाद का – सत्याग्रह का 35वां दिन

न्याय के दीप जलाएं- 100 दिनी सत्याग्रह आज 35 वें दिन में प्रवेश कर गया। सत्याग्रह में आज झांसी के सूरज माते और किशोरी भाई उपवास पर बैठे हैं। झांसी जिले के सिमरधा गांव के निवासी सूरज माते का जन्म उसे दिन हुआ जिस दिन पूरा देश आजादी का जस्ट मना रहा था। इस गांव में गोदान आंदोलन के क्रम में जब बाबा राघव दास आए तो सभी ग्रामीणों के साथ सूरज भी रामधन गाता हुआ गांव की गलियों में घूमां। घूमने की ऐसी लत लगी कि पूरा जीवन गांधी विचार के साथ जीते रहे। इनकी दादी ने भी भूदान यज्ञ में अपनी जमीन दिया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के क्रम में आनंद भवन गए। वहां फिर से एक बार गांधी से प्रभावित हुए। आचार्य राममूर्ति ने किशोरी लाल को किशोरी भाई के रूप में पहचान दी। सिर्फ नाम का परिवर्तन नहीं हुआ सब कुछ बदल गया। विनोवा जी की प्रेरणा से अपने गांव में लोक सेवा आश्रम की स्थापना किया और समाज में छुआछूत,अशिक्षा के खिलाफ अलख जगाते रहे। कई सर्वोदय शिविरों का आयोजन भी किया।

सूरज और किशोरी भाई कहते हैं कि सर्व सेवा संघ परिसर जो गांधी विचार की कर्मभूमि रही है, को गिरा देने की सूचना राम धीरज जी के मार्फत मिली, तो काफी दुख हुआ था। एक कचोट सी मन में बनी रहती थीं कि ऐसा हादसा हुआ और हम कुछ नहीं कर पाए। लेकिन इस सत्याग्रह में हमारे मन में बंधी हुई गांठ को खोल दिया है। एक मौका मिला है -शांतिपूर्ण तरीके से प्रतिवाद का। हम सत्य के आग्रही हैं। झूठ का विनाश चाहते हैं लेकिन मर्यादा के साथ। किसी का अहित करना हमारा उद्देश्य नहीं है। इसलिए हम यहां उपवास पर बैठे हैं। यह एक सिलसिला है जो यहां से शुरू होता है लेकिन अन्याय के परिमार्जन तक खत्म नहीं होगा। इस सत्याग्रह ने हमारे सामर्थ्य को जगा दिया है।

आज के सत्याग्रह में राम धीरज, सुरेंद्र नारायण सिंह विद्याधर, तारकेश्वर सिंह,, कृष्णा देवी, रमेश चंद्र मौर्य, लक्ष्मी नारायण चौबे, सुशील कुमार, जयेश पांडे, ओम प्रकाश, रमेश सिंह, डॉ छेदीलाल, हनुमान प्रसाद,सीता पति, मफ़रून,किस्मतुन,महिमा, शाकिरा,शक्ति कुमार आदि शामिल हुए।

रामधीरज
सर्व सेवा संघ