सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल वरिष्ठ सर्वोदय नेता हैं। पश्चिम बंगाल के निवासी 71 वर्षीय चंदन पाल 1964 में विद्यार्थी जीवन से ही गांधियन आंदोलनों से जुड़ने लगे थे। उन्हें आचार्य विनोबा भावे, धीरेन्द्र मजूमदार, दादा धर्माधिकारी, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, सिद्धराज ढड्ढा, प्रो. ठाकुरदास बंग, मनमोहन चौधरी और नारायण देसाई के मार्गदर्शन में काम करने का अवसर मिला। तब से लेकर ट्ठब तक अपने 56 वर्षों के सार्वजनिक जीवन में वे गांधी विचार और कार्य के प्रति निरंतर समर्पित निष्ठा से लगे रहे हैं। वे तरुण शांति सेना और छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के प्रमुख साथियों में से हैं। विनोबा के साथ भूदान ग्रामदान आंदोलन तथा जेपी के साथ संपूर्ण क्रांति आंदोलन के भी वे सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं।
सातवें दशक के अंतिम वर्षों में नक्सलवादी आंदोलनों के दौर में उन्होंने बंगाल में विभिन्न शांति मार्चों का नेतृत्व किया। उसके बाद से वे सर्वोदय आंदोलनों से जुड़ते चले गये। 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संघर्ष के दौरान वे कोलकाता के साल्ट लेक रिफ्यूजी वैâम्प के स्वच्छता कार्यक्रमों में सक्रिय रहे। 1978 में पश्चिम बंगाल में आयी बाढ़ के दौरान उन्होंने पश्चिम बंगाल गांधी शांति प्रतिष्ठान की ओर से राहत और पुनर्वास के काम में सक्रिय भागीदारी की और विभिन्न ग्रामीण संगठनों के विकास के काम से नौजवानों को जोड़ा। उन्होंने 1999 में उड़ीसा में आये सुपर साइक्लोन से पीड़ित लोगों की भी सेवा की। 2004 में आयी सुनामी के बाद वे तमिलनाडु और अंडमान नीकोबार द्वीपसमूह में मछुआरों के बचाव व राहत के काम में जुटे। वहां वे लगभग एक वर्ष रहे। नंदिग्राम आंदोलन के दौरान शांति की स्थापना के लिए उन्होंने अनेक शांति मार्च और कार्यक्रम आयोजित किये तथा सत्याग्रह भी किया।
2010 में उन्होंने पश्चिम मिदनापुर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में युवाओं को मुख्य धारा से जोड़ा। 2012 में असम के बोडो प्रभावित जिलों में सांप्रदायिक सौहार्द और शांति की स्थापना के लिए वे कोकराझार में थे। बोडो जनजातियों और मुसलमानों के संघर्ष में उन दिनों लगभग 4 लाख लोग शरणार्थी शिविरों में थे, जहां हजारों घर जला दिये गये थे। 2012 से 2017 तक वे विभिन्न क्षेत्रों में असम शांति यात्रा के माध्यम से शांति स्थापना का काम करते रहे। 12 राज्यों से लगभग 52 कार्यकर्ताओं की टीम बनाकर उन्होंने असम के विभिन्न जनजातीय समूहों के बीच शांति और भाईचारे के लिए उल्लेखनीय प्रयत्न किये, शांति मार्च निकाले, बैठकें कीं तथा कबीर, नानक, बुद्ध, मुहम्मद साहब, जीसस क्राइस्ट, चैतन्य, महावीर और गांधी के संदेशों का प्रसार किया। इन समुदायों के बीच भाईचारे की स्थापना के लिए उन्होंने कोकराझार में गांधी शांति संघ की स्थापना भी की।
इस दौरान 3 सितंबर से 22 अक्टूबर 2016 के बीच उन्होंने कोकराझार से जम्मूकश्मीर तक एक शांति सद्भावना साइकिल यात्रा का आयोजन किया। आपसी भाईचारे और शांति की स्थापना के लिए की गयी इस यात्रा ने 9 राज्यों को कवर करते हुए साइकिल से लगभग 2900 किलोमीटर की दूरी तय की। इस साइकिल यात्रा में उनके साथ युवकों, युवतियों और विद्यार्थियों के समूह ने यात्रा की। शांति ओर सांप्रदायिक सौहार्द, नौजवानों के साथ काम, आर्गेनिक कृषि, वर्षाजल संरक्षण आदि प्रारंभ से ही उनकी रुचि के कार्यक्षेत्र रहे हैं। वर्षा जल संरक्षण के लिए उन्होंने ‘तलाव से बनाव’ नामक एक मॉडल भी विकसित किया, जो एक परिवार को स्वावलंबी बनाने में मदद करता है।
विदेश प्रवास : 1982 में उन्होंने नीदरलैंड, पश्चिम जर्मनी और डेन्मार्वâ की यात्रा की। यह यात्रा उन देशों की वयस्क शिक्षा पद्धति के अध्ययन के लिए की गयी थी। इसके अलावा वे रूस, पोलैण्ड, नेपाल, भूटान व बांग्लादेश की यात्रा भी कर चुके हैं।
साहित्यिक कार्य : चंदन पाल ने अपने सार्वजनिक जीवन के अनुभवों से प्रेरित होकर कुछ पुस्तकों की रचना भी की है। शिविर संचालन पद्धति, गांधी प्रश्नोत्तरी तथा Exploring Gandhian Peace Iniciative Realms of Kokarajhar, Assam आदि उनकी लिखी पुस्तकें हैं। इसके अलावा Alor Disari Swami Vivekanand तथा Rabindranath : Kichhu Prasanga, Kichhu Bhabna पुस्तकों का संपादन भी किया। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, साप्ताहिकों और जर्नल्स में भी उनके समसामयिक आलेख प्रकाशित होते रहे हैं।
संस्थाएं और संगठन : अपने सुदीर्घ सार्वजनिक जीवन में चंदन पाल ने विभिन्न संस्थाओं व संगठनों के साथ विभिन्न दायित्वों का निर्वाह किया है। सर्व सेवा संघ का कार्यकारी अध्यक्ष मनोनीत किये जाने से पहले वे सर्व सेवा संघ के महामंत्री रहे। इसके पहले वे पश्चिम बंगाल गांधी शांति प्रतिष्ठान के सेव्रेâटरी, साउथ एशियन फर्टेनिटी, दिल्ली के सदस्य, गांधी शोध अकादमी, तिरुपति के सदस्य सचिव, रूरल डेवलपमेंट कंसोर्टियम, कोलकाता के ट्रेजरार, वनवासी सेवा आश्रम गोविन्दपुर तथा फोरम ऑफ वालन्टरी आर्गनाइजेशन्स, प. बंगाल के उपाध्यक्ष, ग्राम नियोजन केन्द्र, गाजियाबाद के सदस्य, अभय आश्रम बलरामपुर तथा श्रम विद्यापीठ बेलडा के एक्ज्यूेटिव कमेटी मेम्बर रह चुके हैं।
पुरस्कार व सम्मान : उनकी सार्वजनिक सेवाओं के लिए अलग-अलग समय पर विभिन्न संस्थाओं और मंचों की तरफ से उन्हें सम्मानित किया गया। 2014 में उन्हें जमनाबेन लोकसेवक अवार्ड मिला। 2015 में उन्हें श्री पद्मावती महिला विश्वविद्यालय, एकेडमी ऑफ गांधियन स्टडीज और तिरुपति गांधी पीस सेंटर की तरफ से संयुक्त रूप से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें प्रणति घोष व सुरेश शिशिर स्मारक समाज सेवा पुरस्कार, बीटीएम मातृभूमि अवार्ड-2015, मदर इंडिया अवार्ड, राइजिंग स्टार ऑफ एशिया अवार्ड तथा देश स्नेही अवार्ड से भी पुरस्कृत किया जा चुका है। 2020 में उन्हें गांधियन सोसाइटी और गुजरात विद्यापीठ द्वारा भी संयुक्त रूप से सम्मानित किया गया।