सत्याग्रहियों ने आज संतों और नायक को साक्षी मानकर संकल्प के दीप जलाए
गांधी विरासत को बचाने के लिए वाराणसी स्थित राजघाट परिसर के सामने चल रहे सत्याग्रह का आज 66 वां दिन है। स्वतंत्रता आंदोलन में विकसित हुए लोकतांत्रिक भारत की विरासत को बचाने के लिए 11 सितंबर (विनोबा जयंती) से सर्व सेवा संघ के आह्वान पर “न्याय के दीप जलाए जलाए -100 दिनी सत्याग्रह जारी है जो 19 दिसंबर 2024 को संपन्न होगा।
आज उपवास पर बैठे हैं एम शिवगुरुनाथन और जयपाल मलिक
सत्याग्रह के 66वें दिन तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले के एम शिवगुरुनाथन आज उपवास पर बैठे हैं। 49 वर्षीय गुरुनाथन जिला सर्वोदय मंडल के सचिव के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं। उन्हें गांधी की प्रेरणा विरासत में मिली है और पूरे मनोयोग से उसे निभा रहे हैं। उनके पिता मुथैया ने भी अपना पूरा जीवन सर्वोदय आंदोलन में समर्पित कर दिया था।मात्र18 वर्ष की उम्र में उन्होंने गांधी विचार से प्रेरित होकर वर्धा में प्रशिक्षण प्राप्त किया और भूदान एवं सर्वोदय में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
अपने पिता की विरासत को जारी रखते हुए गुरुनाथन विगत 30 वर्षों से सर्वोदय में सक्रिय हैं। देश भर में जहां भी कोई कार्यक्रम होता है तो वह उसमें जरूर शामिल होते हैं।
हरियाणा,करनाल के जयपाल मलिक भी आज उपवास पर हैं। वे विद्यार्थी जीवन से ही समाज कार्य में सक्रिय रहे। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एमएससी, केमिस्ट्री में करने के बाद अपने गांव में मानव सेवा संघ संस्था की स्थापना की और उसके माध्यम से उन्होंने अनेक चर्चित काम किए। उनका सबसे चर्चित काम है- गांव के पुराने ऐतिहासिक तालाब की सफाई का। उन्होंने गांव के लोगों के सहयोग से एक महीने तक श्रमदान करके पूरे तालाब की सफाई किया और उसे नहाने व अन्य उपयोग लायक बना दिया।
1984 में पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा इनके काम को देखने आए और बहुत सराहना की। उन्होंने कहा कि गांव के लोगों ने जो काम किया है, वह सरकारी विभाग लाखों रुपए खर्च करके भी इतना अच्छा काम नहीं कर पाता।
मलिक ने कुछ दिनों तक केंद्रीय विद्यालय अंबाला में शिक्षक का कार्य किया लेकिन सामाजिक काम में रुचि होने के कारण जल्दी ही उन्होंने वह नौकरी छोड़ दी और नेहरू युवा केंद्र में जिला कोऑर्डिनेटर बन गए। उन्होंने अपने सर्विस काल में हजारो नौजवानों को देश सेवा के काम के लिए प्रेरित किया।
सरकारी सेवा से निवृत होने के बाद उन्होंने गांधी विचार और सर्वोदय के काम को बढ़ाने में लगे हुए हैं। आजकल खासतौर से गांधी के ग्रामस्वराज के काम को तीसरी सरकार अभियान के माध्यम से, गांव की ताकत बढ़ाने और गांव को स्वावलंबी बनाने के काम में लगे हुए हैं।
जयपाल मलिक कहते हैं – लोकतंत्र में जनता मालिक है और सरकारी तंत्र उसका सेवक है।
आज है विनोबा निर्वाण, गुरु गोविंद और बिरसा जयंती
आज उपवास का 66 वन दिन है और यह काफी महत्व का है। आज ही के दिन महान संत आचार्य विनोबा भावे ने देह विसर्जन किया था। जब लगा कि उनका काम खत्म हो गया है तो उन्होंने देह विसर्जन करना तय कर लिया। आज ही के दिन महान संत गुरु नानक एवं उलगुलान (क्रांति) के नायक शहीद बिरसा मुंडा की जयंती है।संतों और नायकों को साक्षी मानकर आज सत्याग्रहियों ने संकल्प के दीप जलाए।
नानक को याद करते हुए राम धीरज ने कहा कि
अंधविश्वास, पाखंड, धार्मिक वैमनस्यता और राजकीय शोषण के खिलाफ एक आवाज लगभग 500 साल पहले कार्तिक पूर्णिमा के दिन उठी और जिसने भाईचारे, प्रेम और कर्म का सिद्धांत दिया
अपने जीवन मे उन्होंने चारों दिशाओं मे, सिर्फ भारत ही नही, अन्य देशों की यात्राएँ (उदासी) की। अफगनिस्तान, इराक ईरान, अरब देश मक्का, मदीना, चीन , तिब्बत सभी जगह गए। बाला और मर्दाना उनके कीर्तन के साथी रहे.उनके मानने वाले, उनकी सीख पर चलने वाले सिक्ख कहाये और आज भी बहुत सारे अन्य लोग जो गुरुमुख धारण करते हैं वो नानक के वचन, एक ओंकार, सतनाम से दीक्षा लेते हैं।
नानक निर्भीक हैं, निडर है, तत्कालीन शासन के लिए उन्होंने कहा था-
राजा चोर ,मुक्कदम कुत्ते
नानक सर्व धर्म समभाव का संदेश देते हैं-
कोई बोले राम राम कोई खुदाये
कोई सेवे गुसईंया कोई अल्लाहे
नानक, कीरत करो, नाम जपो और वंड् छको (बाँट के खाओ) की वकालत करते हैं। वेअमीरों के पकवान नही गरीबों की सूखी रोटी मे आनंद पाते हैं
नानक मनुष्यता की साझी विरासत हैं, और भक्ति आंदोलन के संत कबीर, मीरा, रैदास, फरीद और नामदेव की परंपरा के सह यात्री हैं।
नानक बाबा शाह फकीर, हिंदुओं के गुरु, मुसलमानो के पीर
मनुष्यता, बंधुत्व, हक की कमाई के संदेश के लिए और पाखंड के खिलाफ संकल्प लेना हैं।
सत्याग्रह स्थल पर आचार्य विनोबा भावे को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि विनोबा शायद एकमात्र संत हैं जो स्त्रियों को धर्म और आध्यात्म के क्षेत्र में बराबरी का हक मानते हैं। आचार्य विनोबा भावे ने स्त्रियों को भी ब्रह्मचर्य और सन्यास के लिए समान रूप से योग्य समझा जो अद्वितीय धारणा है। इसके साथ ही भौतिक विषयों पर,खास तौर पर जमीन के वितरण के सवाल को जिस शिद्दत से उन्होंने उठाया उसका दूसरा उदाहरण मिलना मुश्किल है।
अंग्रेजों और जमींदारों के विरुद्ध आदिवासी उलगुलान के नायक बिरसा मुंडा की भी आज जयंती है। 1895 से लेकर 1900 तक उन्होंने रांची जिले में केंद्रित विद्रोह का नेतृत्व किया था। अंग्रेजों ने स्थानीय गुप्तचरो की मदद से उन्हें गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया जहां उनकी 27 वर्ष की आयु में मौत हो गई। उनकी शहादत की अमरता आने वाली पीढियां को प्रेरित करती रहेगी। सत्याग्रहितों ने उन्हें भी श्रद्धांजलि अर्पित किया।
त्यौहारों के दिन बनारस मे वी आई पी के आने को रोका जाय
सरकारी प्रोटोकॉल और सुख सुविधा के साथ आए दिन वी आई पी के आने से बनारस का जन जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है।इनका सरकारी ताम झाम आम जनता की परेशानी का सबब बन चुका है।आज देव दीपावली के अवसर पर राज्यपाल और उप राष्ट्रपति के आने के कारण ओल्ड जी टी रोड को दोनों तरफ से बंद कर आवागमन को तबाह कर दिया गया है।सभी आला सरकारी नेताओं,अधिकारियों से निवेदन है कि वे जनता को राहत दें और बनारस सामान्य दिनों में आएं या फिर साधारण रूप से आएं।
उपवासकर्ता एम शिवगुरुनाथन एवं जयपाल मलिक के अलावा उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष राम धीरज,लेखक एवं पत्रकार शक्ति कुमार, पूर्वांचल बहुजन मोर्चा के अनुप श्रमिक,सर्व सेवा संघ प्रकाशन के संयोजक अशोक भारत, तारकेश्वर सिंह, सुरेंद्र नारायण सिंह, लोक समिति आश्रम के नंदलाल मास्टर,मुकेश यादव,पूनम,वरिष्ठ गांधीवादी विद्याधर,एस टी मूर्ति,गांधीवादी कार्यकर्ता जागृति राही,रीवा, मध्य प्रदेश से अजय खरे,श्रवण नामदेव,अशोक कुमार सोनी,सीतामढ़ी से आफताब अंजुम,तौसीफ रजा,मऊ से सौरभ कुमार ,दिल्ली से संत प्रकाश आदि शामिल हुए।
जागृति राही, नंदलाल मास्टर
सत्याग्रह प्रभारी
रामधीरज
सर्व सेवा संघ